हर सनातनी पूर्ण श्रद्धामय, भक्ति उल्लास से मनाएं पर्व त्यौहार : कृष्णगिरी पीठाधीश्वर वसंत विजयानंद गिरीजी महाराज

हर सनातनी पूर्ण श्रद्धामय, भक्ति उल्लास से मनाएं पर्व त्यौहार : कृष्णगिरी पीठाधीश्वर वसंत विजयानंद गिरीजी महाराज

Krishnagiri Peethadheeswar Vasant Vijayanand Giriji Maharaj

Krishnagiri Peethadheeswar Vasant Vijayanand Giriji Maharaj

9 मार्च को जगद्गुरु पदारोहण पट्टाभिषेक के बाद गुरुदेव का आशीर्वाद और होली का रंग बेंगलूरु में 14 मार्च से 

कृष्णगिरी। Krishnagiri Peethadheeswar Vasant Vijayanand Giriji Maharaj: परमहंस परिव्राजकाचार्य अनन्त श्री विभूषित कृष्णगिरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु 1008 परम पूज्यपाद श्री वसन्त विजयानन्द गिरी जी महाराज ने कहा कि रंगों की चिकित्सा से आज विज्ञान मनुष्य के विभिन्न रोगों को ठीक कर रहा है। उन्हीं रंगो के पर्व के रूप में हमें सैकड़ो, हजारों वर्ष पूर्व से होली का त्योहार हमारे ऋषियों मुनियों, पूर्वजों से मिला है। प्रत्येक हिंदू सनातनी को अपने पर्व और त्योहार को श्रद्धामय भक्ति तथा उल्लास के साथ प्रेम व सद्भाव से मनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि होली की रात्रि में मंत्र जाप सिद्धि की भी बड़ी महत्वता है। शुक्रवार को यहां श्री पाश्र्व पद्मावती शक्तिपीठ तीर्थ धाम में 9 मार्च को होने वाले पूज्य गुरुदेवश्रीजी के जगद्गुरु पदारोहण पट्टाभिषेक कार्यक्रम की पांच दिवसीय श्रृंखला में कृष्णगिरी पीठाधीश्वरजी ने कहा कि साधकों के लिए होली, अक्षय तृतीय एवं दीपावली की रात अद्भुत मानी गई है। होली को किसी भी साधना के लिए श्रेष्ठ दिन बताते हुए जगद्गुरुश्रीजी ने कहा कि चांदनी रात में मंत्र जाप की सिद्धि प्रदान करने चंद्रमंडलवासनी देवी भगवती स्वयं प्रसन्न होकर अपने भक्तों को वरदान देती है। उन्होंने कहा कि इस दिन विशेष अमृत किरणों में पवित्रता पूर्वक शुद्धता से किसी भी मंत्र को जाप से सिद्ध किया जा सकता है। साथ ही साधना के शिखर पुरुष, मंत्र शिरोमणि पूज्य गुरुदेवश्री ने रंगों के पर्व की महत्ता पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए बताया कि दो-दो मिनट तक एक-एक रंग का एकाग्र होकर ध्यान मात्र करने पर भी अर्थात 15 मिनट में सात रंगों के ध्यान से व्यक्ति के लिए किसी भी दुर्लभ वस्तु का भी अभाव मिट सकता है। वे बोले, निश्चित ही व्यक्ति इस कलयुग में संसार में स्वार्थ पूर्ण अपनी इच्छा, चाह रखता है, मगर भगवती की भक्ति से सर्वथा सिद्धि प्राप्त हो सकती है। दक्षिण भारत के सुदूर विश्व प्रसिद्ध कृष्णगिरी तीर्थ धाम में विदेशों से अर्थात सात समुंदर पार या यूपी, एमपी, गुजरात, राजस्थान, हिमाचल, उड़ीसा, पंजाब इत्यादि अनेक राज्यों शहरों से आने वाले श्रद्धालुओं की भक्ति जिज्ञासा का उल्लेख भी उन्होंने किया। पूज्य गुरुदेवश्रीजी ने कहा कि किसी भी भक्त की कृष्णगिरी आने की इच्छा या अनिच्छा जगत जननी देवी मां की कृपा से ही संभव है। इस दौरान उन्होंने यह भी बताया कि शुक्रवार जैसा कोई भी दिन विश्व भर में नहीं है। इस वार को दुनिया भर में क्रिश्चियन, मुस्लिम धर्म के लोगों साथ सनातनी धर्मावलंबी भी देवियों की आराधना पर्व के रूप में व्यापक स्तर पर मनाते हैं। सात दिनों में शुक्रवार मां का पतित पावन, प्रिय एवं अति विशेष प्रसन्नता प्रदान करने वाला दिन होता है। इससे पूर्व तीर्थ धाम में सुबह के सत्र में मां पद्मावतीजी का केसरयुक्त दुग्ध अभिषेक, शाम को हवन यज्ञ में आहुतियां का क्रम जारी रहा। उड़ीसा से जैनाचार्य भूपेंद्रमुनिजी तथा श्रमण संघीय दक्षिण सूर्य संतश्री वरुण मुनिजी आदि ठाणा मौजूद रहे। डॉ संकेश छाजेड़ ने बताया कि 9 मार्च को पूज्य गुरुदेवश्रीजी के भव्यतिभव्य जगद्गुरु पदारोहण पट्टाभिषेक कार्यक्रम के बाद 14 मार्च से 22 मार्च तक बेंगलुरु प्रवास कार्यक्रम रहेगा। गुरुदेव का आशीर्वाद एवं होली का रंगीला पर्व भक्तिमय विशेष धार्मिक आयोजनों के साथ फूलों की नगरी में हनुमंतनगर क्षेत्र में मनाया जाएगा। इस दौरान नौ दिनों तक प्रतिदिन सुबह साधना, महापूजा, दोपहर 3 बजे से जीवन विकास के अद्भुत प्रेरक प्रवचन एवं शाम 7 बजे से विशेष महायज्ञ होगा। कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी डिटेल मोबाइल 90513 90513 से प्राप्त की जा सकती है। पूज्य गुरुदेव के कथा प्रवचन एवं हवन यज्ञ का सीधा प्रसारण यूट्यूब चैनल थॉट योगा पर लाइव प्रसारित किया जा रहा है।